किसी यात्रा का वर्णन करते हुए पिता जी की पत्र लिखे
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रास्ते में पहाड़ों से निकलकर बहते झरनों का दृश्य तो इतना मनमोहक लगता है कि लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं । ऊँचाई पर एक जगह बादल हमारी बस की खिड़कियों से अंदर प्रवेश करने लगे । उस समय सचमुच ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग का सुख प्राप्त कर रहे हैं । तुम्हारी छुट्टियाँ कैसी बीतीं इसका उल्लेख अपने पत्र में अवश्य करना ।
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