के
'सबका दुख अलग-अलग होता है, किस-किस तरह के
दुख
हैं? उन्हें लिखिए।
अनुभव
आपने किए
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अपनी-अपनी बीमारी' व्यंग चित्र में हरिशंकर परसाई ने इसी बात को व्यंगात्मक तरीके से रेखांकित किया है। इस पाठ के आधार पर दुख के अनुभव के तीन बिंदु देखें तो वो इस प्रकार हैं.... सब का दुख अपना अलग अलग होता है, कोई टैक्स न भर पाने से दुखी है क्योंकि उसके पास ना इतनी प्रॉपर्टी है ना उसकी इतनी आय हैं
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