के सघन उपवन के बीचोबीच बनाया गया था । बहुत ही
सुंदर, बड़ी और अच्छी इमारत थी वह ! जैसा सोचा था
वैसा ही पाया । ऊपर की मंजिल के एक कमरे में हमें
ठहराया गया । कमरे के बाहर एक विस्तृत बरामदा था।
बरामदे में खड़े होकर अगर बाहर देखा जाए तो सामने
ही सघन बकुल वृक्ष दिखाई देते थे।
दूसरे दिन प्रात:काल ही हमें बताया गया कि
गुरुदेव का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, अत: कार्यक्रम की
बैठक में वे नहीं आ पाएँगे । मैं बहुत निराश हो गया
तथापि हमें जब यह मालूम पड़ा कि उनके डॉक्टर ने हम
लोगों को केवल पंद्रह मिनटों का समय दिया है, जिसमें
गुरुदेव के दर्शन तथा उनके साथ संक्षिप्त वार्तालाप भी
हो सकता है तब हमारी खुशी का ठिकाना न रहा। हम
बेसब्री से उस क्षण का इंतजार करने लगे।
मध्याह्न के बाद गुरुदेव की भेंट हुई। करीब चार
बजे होंगे । गुरुदेव की धारणा थी कि कुछ दो-तीन
आदमी ही होंगे । पर जब उन्होंने हम चौदह जनों को
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uper ki majil ke ek kamre m ham tharya tha gya kamre m ek vistrat thaki sagan vikul thi dusre din morninh m hi hame btaya gya ki gurudev ki heath thik nhi h
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