Hindi, asked by avi547charu, 7 months ago


किसने जिल्द काट डाली है?
बिखर गए पोथी के पन्ने।
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं
कौन उठा ले जाता छन्ने?
iski vakhya Kya hogi​

Answers

Answered by shishir303
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किसने जिल्द काट डाली है?

बिखर गए पोथी के पन्ने।

रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं

कौन उठा ले जाता छन्ने?

संदर्भ :  यह पंक्तियां सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘कौन’ से ली गई है। कविता में कवि ने एक ऐसे अनजान प्राणी (शायद चूहा) के विषय में वर्णन किया है, जो अक्सर उनके घर में उथल-पुथल मचा देता है।

व्याख्या:

कवि कहता है कि वह कौन है, जो कभी किताबों की जिल्द को काट डालता है। जिस कारण उसकी पोथी यानि छोटी पुस्तकों के पन्ने बिखर जाते हैं। जिस पतले-बारीक कपड़े को कवि रोज-रोज धोकर सुखाने को टांगता है, तो उस पता नही कौन उठाकर ले जाता है।

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