किसने किस्से कहा हे गंगा मैया अपने प्यारे की। ये अकिंचन भेट स्वीकार करे
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कुँवर सिंह ने अपने ओजस्वी स्वर में कहा, "हे गंगा मैया! अपने प्यारे की यह अकिंचन भेंट स्वीकार करो।"
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