किसने कहा था कि राज्य परिवार का विस्तार है?
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मानव इतिहास के विकास-क्रम में एकाकी जीवन से कबीलाई संस्कृति तक की यात्रा, तत्पश्चात् समाज एवं राज्य के रूप में उसका विकास जानने की जिज्ञासा सदैव ही मानव मस्तिष्क को कचोटती रही है। समाजशास्त्रियों एवं मानवविज्ञानियों ने विश्व के अलग-अलग भागों में समाज एवं राज्य की विकास प्रक्रिया को जानने की लगातार कोशिश की है।
भारत में राज्य की अवधारणा, राज्य की उत्पत्ति एवं उसका विकास के सम्बन्ध में प्राचीन भारतीय साहित्य में सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध वर्णन उपलब्ध नहीं है, फिर भी इसके सम्बन्ध में यत्र-तत्र विवरणों का जो उल्लेख मिलता है, उनके आधार पर हम भारत के राज्य की अवधारणा की रूपरेखा प्रस्तुत कर सकते हैं।
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Explanation:
परिवार (family) साधारणतया पति, पत्नी और बच्चों के समूह को कहते हैं, किंतु दुनिया के अधिकांश भागों में वह सम्मिलित वासवाले रक्त संबंधियों का समूह है
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