कोशिका कला के फ्लुइड मोजैक माडल का वर्ण
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तरल पदार्थ मोज़ेक मॉडल वह कहते हैं कि कोशिका झिल्ली या बायोमेम्ब्रेन्स गतिशील संरचनाएं हैं जो उनके विभिन्न आणविक घटकों की तरलता प्रदर्शित करती हैं, जो बाद में स्थानांतरित हो सकती हैं। यह कहना है, कि ये घटक आंदोलन में हैं और स्थिर नहीं हैं, जैसा कि पहले माना जाता था. इस मॉडल को एस। जोनाथन सिंगर और गार्थ ने उठाया था।
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Concept:
सिंगर एवं निकोलसन (1972) ने तरल मोजैक मॉडल प्रस्तुत किया इसके अनुसार, कोशिका कला में दो प्रकार की प्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन तथा ग्लाइकोलिपिड होते हैं।
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कोशिका कला के फ्लुइड मोजैक माडल का वर्णन
Given:
कोशिका कला के फ्लुइड मोजैक माडल का वर्णन
Explanation:
सिंगर एवं निकोलसन (1972) ने तरल मोजैक मॉडल प्रस्तुत किया इसके अनुसार, कोशिका कला में दो प्रकार की प्रोटीन, ग्लाइकोप्रोटीन तथा ग्लाइकोलिपिड होते हैं। सर्वप्रथम प्लाज्मा झिल्ली की त्रिस्तरीय संरचना के बारे में डेनियली तथा डेवसन ने सन् 1935 में बताया। इसके बाद हार्वे तथा डेनियली ने इसकी रचना का एक कल्पित चित्र बनाया।
कोशिका कला कोशिका की सबसे बाहरी परत है, जो उसके विभिन्न घटकों को बाहरी वातावरण से अलग करती है। सभी कोशिकाओं के अवयव चारों तरफ से एक अत्यन्त पतली, लचीली तथा अर्द्धपारगम्य झिल्ली घिरे रहते हैं, जिसे जीवद्रव्य कला या कोशिका कला कहते हैं ।
यह झिल्ली जीवद्रव्य कला, जीवद्रव्य तथा ऊतक द्रव्य के बीच एक अवरोधक की तरह कार्य करती है, जिससे होकर कुछ विलयन, विलायक तथा यौगिक अन्दर बाहर हो - सकते हैं। इस तरह यह झिल्ली आवश्यक पदार्थों को अन्दर अथवा बाहर जाने देती है। इसी को चयनात्मक पारगम्यता कहते हैं। इस दृष्टि से O2 एवं CO 2 कोशिका झिल्ली के आर-पार विसरण प्रक्रिया तथा जल परासरण प्रक्रिया द्वारा कोशिका के अन्दर एवं बाहर होते हैं।
रॉबर्ट्सन ने सन् 1959 में प्लाज्मा झिल्ली के बारे में जो परिकल्पना का प्रतिपादन किया, जिसे 'इकाई झिल्ली परिकल्पना' कहते हैं। इस परिकल्पना के अनुसार, प्रोटीन- लिपिड तथा प्रोटीन की बनी त्रिस्तरीय प्लाज्मा झिल्ली को 'इकाई झिल्ली' कहते हैं और प्लाज्मा झिल्ली के अलावा कोशिका के अन्दर मिलने वाली सभी झिल्लियाँ इकाई झिल्ली की ही बनी होती हैं।
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