Hindi, asked by chintuh6821, 8 months ago

" काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो सकती!"
(i) वक्ता कौन हैं? यह वाक्य वह किसे कह रही हैं?
(ii) "संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है|" यह कथन किसका है? उसने ऐसा क्यों कहा?
(iii) संस्कारों की दासता ही कारण वक्ता को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
(iv) प्रस्तुत एकांकी द्वारा एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है?

Answers

Answered by shishir303
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“काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो सकती!”

(i) वक्ता कौन हैं? यह वाक्य वह किसे कह रही हैं?

►  यहाँ पर वक्ता एकांकी “संस्कार और भावना” की मुख्य पत्र माँ है। यह बात वो अपने छोटे बेटे अतुल की पत्नी उमा से कह रही है।

(ii) "संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है|" यह कथन किसका है? उसने ऐसा क्यों कहा?

► “संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है” यह कथन एकांकी की मुख्य पात्र माँ के सबसे बड़े बेटे अविनाश ने कहा था। जिसका स्मरण इस समय माँ कर रही है। बड़े बेटे ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि उसकी माँ अपनी बड़ी बहू यानि अविनाश की पत्नी के विषय अच्छे विचार नहीं रखती थी।

(iii) संस्कारों की दासता ही कारण वक्ता को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?

► संस्कारों की दास्तां के कारण माँ को अपने पुत्र अविनाश और उसकी पत्नी से बिछड़ना पड़ता है। उसे इस बात का गहरा दुख होता है कि अविनाश ने उसकी इच्छा के विरुद्ध एक दूसरी जाति की बंगाली लड़की से विवाह किया था।

(iv) प्रस्तुत एकांकी द्वारा एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है?

► प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से एकांकीकार का यह बताना चाह रहा है कि जातिवाद, धर्म बाद या क्षेत्रवाद आदि सभी बातें मानवता से ऊपर नहीं हो सकती और हम संस्कारों के नाम पर अपनी संतान को दूर नहीं कर सकते।

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