काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाह खान एक दूसरे के पूरक हैं कथन का आशय स्पष्ट करें
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Ustaad bismillah Khan Bharat ke ek prasidh shehnayi vadak the.Wo apne shehnayi vadan ke karan poore vishwa main prasidh ho Gaye the.Unhe desh videsh main kaayi puraskaar bhi mile.Unka janam Kaashi main hua tha.Unke paviwaar sangeetkaron ka parivaar tha.Itne saal kaashi main rehne aur babe vishwanath ka Mandir main Shehnaayi bajaane ka karan wo us sheher se jud Gaye the.Unhe jaati baar videsh main ghar bnane ka avsar like per wo Kaashi ka alawa kahib aur gaye hi nhi.
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काशी का विश्वनाथ धाम अपने आप में बहुत प्रसिद्ध स्थल है और वही दूसरी ओर बिस्मिल्लाह खां भी शहनाई के लिए प्रसिद्ध है।
खां साहब ने संगीत का रियाज सब कुछ काशी के गलियों में सीखा है।
काशी का और बिस्मिल्लाह खां का संबंध बेहद गहरा है।
बिस्मिल्लाह खां केवल अपने मजहब के कार्यक्रम में नहीं बल्कि हनुमान जयंती के अवसर पर भी अपनी शहनाई के आवाज से सबका मन मोह लेते थे।
धर्म भेद नहीं करते थे खां साहब।
खां साहब को काशी से एक पल दूर रहना पसंद नहीं था। तभी तो जब भी वह बाहर रहते थे कार्यक्रम के वजह से वह शहनाई बजाते बजाते अपने शहनाई को कुछ पल के लिए ही सही बदल लेते थे।
इसलिए काशी और बिस्मिल्लाह खां को एक दूसरे का पूरक बताया गया है।
खां साहब ने संगीत का रियाज सब कुछ काशी के गलियों में सीखा है।
काशी का और बिस्मिल्लाह खां का संबंध बेहद गहरा है।
बिस्मिल्लाह खां केवल अपने मजहब के कार्यक्रम में नहीं बल्कि हनुमान जयंती के अवसर पर भी अपनी शहनाई के आवाज से सबका मन मोह लेते थे।
धर्म भेद नहीं करते थे खां साहब।
खां साहब को काशी से एक पल दूर रहना पसंद नहीं था। तभी तो जब भी वह बाहर रहते थे कार्यक्रम के वजह से वह शहनाई बजाते बजाते अपने शहनाई को कुछ पल के लिए ही सही बदल लेते थे।
इसलिए काशी और बिस्मिल्लाह खां को एक दूसरे का पूरक बताया गया है।
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