'काशी में बाबा विश्वनाथ और बिश्मिल्लाह खान एक -दूसरे के पूरक है'कथन का क्या आशय है?
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प्रशन :- 'काशी में बाबा विश्वनाथ और बिश्मिल्लाह खान एक -दूसरे के पूरक है'कथन का क्या आशय है?
उत्तर :- बाबा विश्वनाथ व बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। वे नित्यप्रति विश्वनाथ, बाला जी मंदिर में आरती के समय शहनाई बजाते थे। काशी, गंगा व बाबा विश्वनाथ से बिस्मिल्ला खाँ को अलग करके नहीं देखा जा सकता। वे जब भी काशी से बाहर रहते तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की तरफ़ मुँह करके बैठते और अपनी शहनाई का प्याला घुमा और सुर साध कर अपनी श्रद्धा प्रकट करते और भीतर की आस्था के माध्यम से बजनी शुरू हो जाती थी। अपने मज़हब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार थी।
बिस्मिल्ला खाँ काशी इसलिए नहीं छोड़ना चाहते थे क्योंकि वे गंगा मैया से अपना अटूट संबंध मानते थे और कहते थे कि उनके खानदान को कई पुश्तों ने यहाँ शहनाई बजाई है। जहाँ से अदब हासिल हुआ, जिस ज़मीन ने उन्हें ये हुनर दिया उस जन्नत को छोड़कर जीते जी जाना संभव नहीं है।