Hindi, asked by ms7170064, 4 months ago

काश! मैं भी’ कविता में कवयित्री किस घाटी का पत्थर बनना चाहती है ? *

(क) चम्बा

(ख) शिमला

(ग) कारगिल

(घ) गुलमर्ग

Answers

Answered by shishir303
1

सही उत्तर है, विकल्प...

(ग) कारगिल

स्पष्टीकरण:

‘काश मै भी’ कविता कवयित्री ‘विमला देवी’ द्वारा रचित एक कविता है, जिसमें उन्होंने देश के प्रति अपने प्रेम रूपी भावनाओं को कविता के माध्यम से शब्दों में प्रकट किया है।

इस कविता में कवयित्री कारगिल की किसी घाटी का पत्थर बनने की आकांक्षा रखती हैं।

कवयित्री कहती हैं...

काश! मैं भी सीमा पर जाकर,

दुश्मन से लड़ पाती।

काश! मैं भी यूँ लड़ते-लड़ते,

अमर शहीद हो जाती।

काश! मैं भी तोपो बंदूकों,

के हथियार सजाती।

काश! मैं भी अमर होकर,

नया इतिहास रचाती।

काश! चाँदनी की उन रातों,

को अंधेरा कर पाती।

काश! तोपों के मुँह से निकला,

मैं गोला बन जाती।

काश! कारगिल की घाटी का,

एक पत्थर बन जाती।

अमर शहीदों को सलाम कर,

जीवन सफल बनाती

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