काश्मीर का अकबर किसे कहा जाता हैं
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जैनुल आबदी i hope it's helpful
कश्मीर का अकबर किसे कहा जाता हैं और क्यों?
भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे शासक हुए हैं जिनकी नीतियां समकालीन युग से ऊपर उठकर सभी युगों एवं सभी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं। वैसा ही एक शासक था पंद्रहवीं सदी के कश्मीर का शासक जैनुल आबेदीन। आबेदीन को कश्मीर का अकबर कहा जाता है।
- आबेदीन पंद्रहवीं सदी में अपने भाई सिकंदर शाह के उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी पर बैठा।
- उसे एक बड़ी कड़वी विरासत प्राप्त हुई थी। वह थी सांप्रदायिक तनाव।
- सिकंदर शाह की क्रूर नीति के कारण मंदिर ध्वस्त किए जा चुके थे तथा कश्मीरी पंडितों को देश निकाला दिया जा चुका था।
- जैनुल आबेदीन ने उस विध्वंस के बीच पुनर्निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी।
- उसने हिंदू मंदिरों को पुनः स्थापित किया तथा कश्मीरी पंडितों को दोबारा घाटी में बसाया।
- हिंदुओं की धार्मिक भावना का सम्मान करते हुए उनके जजिया कर हटा लिया।
- उसने गौ हत्या पर भी पाबंदी लगा दी।
- उसने कला और साहित्य के विकास के मार्ग में धर्म को आड़े नहीं आने दिया।
- वह स्वयं फारसी के अतिरिक्त संस्कृत, कश्मीरी और तिब्बती भाषा का जानकार था।
- उसने कश्मीर की समन्वित संस्कृति को संरक्षण दिया।
- उसने कश्मीर की एक महत्वपूर्ण कृति राज तरंगिणी का अगला भाग संस्कृत के एक विद्वान जोनराज से लिखवाया।
- राज्य की सेवा में हिंदुओं की नियुक्ति को प्रोत्साहन दिया।
- इस्लाम के द्वारा अस्वीकृत होने के बावजूद भी उसने संगीत को संरक्षण दिया।
- उसके इन कामों के कारण उसे कश्मीर का अकबर कहा गया है।
दिलचस्प है कि आबेदीन ने हिंदुस्तान के दूरवर्ती क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम सद्भावना की ऐसी मिसाल रखी जो दुर्लभ थी। यह वह समय था जब पश्चिम एशिया और मध्य एशिया में ही नहीं बल्कि अपने को सभ्य कहने वाले यूरोप में भी धर्म के नाम पर खून बहाया जा रहा था।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि आबेदीन वर्तमान और भविष्य के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना अतीत के लिए था। दुखद आश्चर्य का विषय यह है कि हमने कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव विरासत के रूप में प्राप्त कर लिया है परंतु उसके समाधान के रूप में आबेदीन की विरासत प्राप्त नहीं कर सके।
कश्मीर में धार्मिक उन्माद है, संघर्ष है, और रक्तपात है परंतु उसका वास्तविक समाधान जैनुल आबदीन अनुपस्थित है|
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