किशोर तथा किशोरियों में गौण लैंगिक लक्षणों का वर्णन कीजिए
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लम्बाई – लड़के तथा लड़कियों की लम्बाई 9 से 10 वर्ष की उम्र के समय लगभग बराबर – सी रहती है। लड़कों की लम्बाई में तीव्र वृद्धि दर औसतन 12वें से 15वें वर्ष के मध्य होती है जो 16वें वर्ष में धीमी होकर 20 – 22 वर्ष पर आकर रुक जाती है। लड़कियों की लम्बाई 10 -14वें वर्ष के मध्य तीव्र गति से बढ़ती है जो धीमी गति से 16 -18 वर्ष तक रहती है। देर से परिपक्व होने वाले किशोर/किशोरियों की तुलना में शीघ्र परिपक्व होने वाले किशोर – किशोरियों की लम्बाई पूर्ण होने के बाद भी बढ़ती रहती है।
(2) भार – किशोरावस्था में भार में वृद्धि केवल वसा की वृद्धि से ही नहीं होती, बल्कि अस्थि और वसा के ऊतकों की वृद्धि से भी होती है। 17 वर्ष की अवस्था तक लड़कियों की अस्थियाँ आकार और विकास की दृष्टि से परिपक्व हो जाती हैं। लड़कों में अस्थि पंजर का विकास लगभग दो वर्ष बाद पूर्ण होता है। लड़कियों में भार की वृद्धि प्रथम रज:स्राव के ठीक पहले। और ठीक बाद में होती है। यह समय 11-15 वर्ष का होता है। इसी प्रकार लड़कों में अधिकतम भार वृद्धि 13वें से 16वें वर्ष में होती है। इसी कारण 10 -15 वर्ष के मध्य लड़कियों का अपनी आयु के लड़कों से भार प्रायः अधिक होता है।
(3) शारीरिक अनुपात – यद्यपि यौवनारंभ होने पर शरीर बढ़ता रहता है परन्तु शरीर के समस्त अंग समान रूप से नहीं बढ़ते हैं। फलस्वरूप बाल्यावस्था के लाक्षणिक अंगविषमानुपात बने रहते हैं। जैसे; नाक, पाँवों और हाथों में ये प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं। लैंगिक परिपक्वता के बाद सिर की परिधि में केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि ही शेष रह जाती है। चेहरे की आनुपातिक वृद्धियों के कारण प्रारम्भ में माथा ऊँचा और चौड़ा हो जाता है और नाक लम्बी एवं चौड़ी, किन्तु धीरे – धीरे परिपक्व होने पर लड़के का चेहरा कुछ ऊँचा – नीचा और नोकदार हो जाता है और लड़की का अण्डे की भाँति गोल।