किशोरावस्था को पटापेक्ष एवं तनाव के काल के रूप में देखा जाता है। क्या आप इससे
सहमत हैं? एरिक्सन के मतानुसार इस अवधि की महत्वपूर्ण विकासत्मक क्रियाओं का
उल्लेख करें।
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हाँ, मैं इस बार से सहमत से हूँ| किशोरावस्था को पटापेक्ष एवं तनाव के काल के रूप में देखा जाता है।
किशोरावस्था 13 से 19 साल तक होती है | इस समय किशोरों में हार्मोन बदलाव देखने को मिलता है। अतः यही वे समय होता है जब खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। इस समय दिनचर्या में की गई लापरवाही किशोरों की त्वचा और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, जैसे कि रक्त की अशुद्धियाँ, कील-मुहासों का होना और उनसे होने वाले दाग-धब्बे, कुपोषण, स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है | इस अवस्था में बच्चे में तीव्र तथा महत्वपूर्ण शारीरिक मनोवैज्ञानिक उत्पन्न होते है जैसे यौन अंगों का बढ़ना , लम्बाई और बहार बढ़ना|
किशोरावस्था की ओर बढ़ते लड़के और लड़कियों में हार्मोन्स की वजह से मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शारीरिक बदलाव होते हैं।
ऐरिकसन का मानना है कि किशोरावस्था तीव्र गति से होने वाले परिवर्तनों का काल है , जिसके अन्तर्गत शारीरिक , शरीर क्रियात्मक , मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन देखे जाते है को व्यक्तित्व , प्रतिमान , आवश्यकता प्रतिमान और सुरक्षा-असुरक्षा के भावनात्मक मनोवैज्ञानिक कारकों से नियंत्रित और प्रभावित होते है|
महत्वपूर्ण विकासत्मक क्रियाएँ:
माता पिता तथा अन्य वयस्कों से भावात्मक स्वतंत्रता से बाते करना|
विवाह और पारिवारिक जीवन के लिए तैयारी करना|
पुरुष और स्त्री दोनों में सामाजिक भूमिका के बारे में सोच-विचार करते है|
अपने शारीरिक बनावट को और सुंदर बनाने के लिए प्रयास करना|
वह कार्य है जो व्यक्ति के जीवन में एक निश्चित अवधि से संबंधित होते है| विकासात्मक कार्यों के सफलतापूर्वक निष्पादन के परिणामस्वरूप ख़ुशी की प्राप्ति होती है|
इस प्रकार एक किशोर को कौशलों व क्षमताओं की व्यापक श्रृंखला को विकसित व ग्रहण करना होता है| यह विकास के सभी पहलुओं से संबंधित होते है , शारीरिक और नैतिकता से होता है|