किशोरावस्था के दौरान प्राथमिक और माध्यमिक लक्षण हैं?
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किशोरावस्था को मनुष्य जीवन का बसंत काल माना गया है यह किसी मनुष्य के जीवन में 13 से 19 वर्ष तक की आयु में होता है किशोरावस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था हैइसकी शुरुआत में बच्चों की हड्डियों में दर्द आती है साथ ही उन्हें भूख भी काफी लगती हैइसी दौरान बालक के मन में कामवासना के भाव भी उजागर होते हैं और 13 वर्ष की आयु से ही बालक में कामुकता का भाव आता है इसी कारण उसके शरीर में स्थित ग्रंथियों का स्त्राव होता है अतः बहुत से किशोर बालक कामुकता की क्रियाएं अनायास ही करने लगते हैं किशोर बालक एवं बालिकाओं मानसिक रूप से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं और उनकी आवाज में भी काफी बदलाव आते हैं जैसा कि हम जानते हैं कि बचपन में बालक और बालिकाओं की आवाज बिल्कुल एक जैसी ही होती है मगर किशोरावस्था में आने के बाद बालकों की आवाज धीरे धीरे बहुत भारी हो जाती है तथा बालिकाओं की आवाज और पतली हो जाती है उनके शरीर पर बाल उगना शुरू हो जाते हैं और साथ ही साथ उनके भाव के अंदर बहुत परिवर्तन आता है उनकी शुरुआती दौर में वे थोड़े विद्रोही स्वभाव के हो जाते हैं पर किशोर अवस्था में बालक जो संस्कार ग्रहण करता है वही उसके आने वाले जीवन की रूपरेखा तैयार करते हैं