किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक विकास में पोषक तत्वों की क्या आवश्यकता एवं भूमिका है-वर्णन करें।
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किशोरावस्था पोषण की दृष्टि से एक संवेदनशीलसमय होता है, जब तेज शारीरिक विकास के कारण पौष्टिक आहार की माँग में वृद्धि होती है। किशोरावस्था के दौरान लिए गए आहार सम्बन्धीआचरणपोषणसम्बन्धीसमस्याओं में योगदान कर सकते हैं, जिसका स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्षमता पर आजीवन असर रहता है।
किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक विकास में पोषक तत्वों की क्या आवश्यकता एवं भूमिका है-वर्णन करें।
किशोरावस्था पोषण की दृष्टि से एक संवेदनशीलसमय होता है, जब तेज शारीरिक विकास के कारण पौष्टिक आहार की माँग में वृद्धि होती है। किशोरावस्था के दौरान लिए गए आहार सम्बन्धीआचरणपोषणसम्बन्धीसमस्याओं में योगदान कर सकते हैं, जिसका स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्षमता पर आजीवन असर रहता है।किशोरियों को प्रोटीन, आयरन, फाइबर, कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ और पानी का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए। प्रोटीन मांसपेशियों को बनाने और ऊतकों की मरम्मत का काम करता है। दालों, अंकुरित चने, अंडे, पनीर, दूध और दूध से बने पदार्थों में प्रोटीन मिलता है। वहीं, कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, ब्रोकली से कैल्शियम मिलता है। आयरन की कमी से एनीमिया होता है। हरी पत्तेदार सब्जियों, चिकन, मछली, गुड़, चुकंदर, गाजर आदि आयरन के अच्छे स्रोत हैं। आयरन का सेवन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका सेवन विटामिन-सी खाद्य पदार्थ जैसे नींबू पानी, संतरे या आंवले के साथ करना चाहिए। सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में मिलने वाली आयरन की नीली गोलियों का साप्ताहिक सेवन करना चाहिए। विटामिन-सी आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है। कैल्शियम और आयरन का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए।