काश सर्दी पहले जैसी ही हो जाए पर निबंध
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सर्दी अपने शवाब पर है, ऐसे में लोगों को जितनी जरूरत अलाव और सूरज के गर्मी की होती है उतनी ही महबूब से मिलन की भी। आशिक़ों और शायरों के लिए यह बेचैनी का मौसम होता है। सर्दियों के एहसासात को शायरों ने ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ों से नवाज़ा है। पेश है सर्दी के मौसम पर चुनिंदा शेर-
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
-राहत इंदौरी
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया
- बेदिल हैदरीसूरज लिहाफ़ ओढ़ के सोया तमाम रात
सर्दी से इक परिंदा दरीचे में मर गया
- अतहर नासिक
वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया
लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
- मुसव्विर सब्ज़वारी
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
- मख़दूम मुहिउद्दीन
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ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
- उम्मीद फ़ाज़ली
दिन जल्दी जल्दी चलता हो तब देख बहारें जाड़े की
और पाला बर्फ़ पिघलता हो तब देख बहारें जाड़े की
- नज़ीर अकबराबादी
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