कोशिश करने वालों की हार नहीं,
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना नहीं अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जाकर खाली हाथ लौट वह आता है,
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में,
मुट्ठी खाली उसकी हर बार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
प्रश्र
(क) कवि के अनुसार किस की हार नहीं होती? (१)
(ख) हमारी रगों में साहस कौन भरता है?
(ग) चींटी की मेहनत बेकार क्यों नहीं होती?
(घ) क्या गोताखोर को पहले प्रयास में ही मोती मिल जाते हैं?
(२)
(उ)। इस काव्यांश का उपयुक्त शीर्थक लिखिए। (१)
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a-koshish karne walo ki
b-man ka vishwas
c-kuki wo koshish karna nahi chhodati
d-nahi
e-koshish
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Explanation:
1.कवि के अनुसार कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
2.हमारी रगों में मन का विश्वास साहस भरता है
3.क्योंकि मेहनत करती है मेहनत करने से कभी किसी की हार नहीं होती चींटी जब दाना लेकर चढ़ती है तो वह सौ बार फिसलती है और उसका मन का विश्वास बढ़ता है और वह गिर कर फिर चढ़ने की प्रेरणा रखती है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती इसलिए कविता मैं कवि ने ऐसा कहा है
4.नहीं गोठा कौर को पहले प्रयास में मोती नहीं मिलते
5.इस काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक होना चाहिए कोशिश क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए कभी भी कोशिश करने से पीछे नहीं हटना चाहिए
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