कुशल कारीगरों को पैसों से ज़्यादा स्वाभिमान प्रिय होता है। लाख की चूड़ियाँ कहानी के आधार पर अपने विचार 50-60 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
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कुशल कारीगरों को पैसों से ज़्यादा स्वाभिमान प्रिय होता है। लाख की चूड़ियाँ कहानी के आधार पर अपने विचार 50-60 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
✎... कुशल कारीगरों को पैसों से ज्यादा अपना स्वाभिमान प्रिय होता है, यह ‘लाख की चूड़ियां’ पाठ में स्पष्ट हो रहा था। जब बदलू लाख की चूड़ियां बनाता था, तो धीरे-धीरे उसका लाख की चूड़ियां बनाने का काम ठप पड़ने लगा, क्योंकि कांच की चूड़ियां बनाने का फैशन चलने लगा। धीरे-धीरे उसका काम बंद हो गया। जब उसने जमींदार की बेटी के विवाह पर लाख की चूड़ियों का आखिरी जोड़ा बनाया था तो जमीदार उसे 10 आने दे रहा था, लेकिन उसने वह चूड़ियों का जोड़ा नहीं बेचा और आखिरी निशानी के तौर पर रख लिया। इस तरह उसे अपने पैसों से अधिक अपना स्वाभिमान प्रिय था। उसका व्यक्तित्व कांच की चूड़ियों की तरह नही था, जो आसानी से टूट जाए।
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