Hindi, asked by KaustubhYadav, 21 hours ago

किशनदा एक ऐसा चरित्र है जो यशोधर बाबू का अनुकरणीय है। आपके विचार में किसनदा की सोच जीवन के संदर्भ में कितनी तर्कसंगत है स्पष्ट कीजिए​

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Answered by ranjeetsingh18081974
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Answer:

answer chiye mujhe iska

Answered by dgmellekettil
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Answer:

किशन दा एक ऐसे चरित्र है जिन का अनुकरण यशोधर बाबू करते हैं। मेरे विचार से किशन दा की सोच जीवन के संदर्भ में बहुत ही तर्कसंगत है।

Explanation:

  • ये पात्र सिल्वर वेडिंग कहानी से लिया गया है जिसकी रचना मनोहर राम जोशी ने की है, और इस पाठ के माध्यम से कहानी का दो पीढ़ियों के अंतराल का मार्मिक चित्रण करते हैं।
  • एक तरफ आधुनिकता के दौर में यशोधर बाबू के बच्चे हैं और एक तरफ यशोधर बाबू का किशन दा के दिए गए आदर्शों का पालन।
  • कहानी के पात्र बीच-बीच में किशन दा की सोच को याद करते रहते हैं।
  • किशन दा एक सामाजिक व्यक्ति हैं दूसरों की मदद में विश्वास रखते हैं।
  • वे अविवाहित थे और हमेशा किसी न किसी की मदद करते थे।
  • उनमें से एक यशोधर बाबू भी थे, जिनको उन्होंने अपने घर में रखा और नौकरी दिलाने में भी मदद की।
  • सभी दोस्त, उनके परिवार, बंधु बांधव ने अपनी नौकरी से घर बनवा लिया परंतु किशन दा के पास ना कोई रहने के लिए मकान था और ना उनका कोई पुत्र।
  • जितने लोगों को उन्होंने मदद किया था अचानक उनकी बुरी स्थिति में अपना हाथ मोड़ लेते हैं और कोई भी उनको मदद नहीं करते ।
  • यहीं पर किशन दा अपने लिए नहीं सोचने की गलती कर बैठते हैं।
  • हमारी सोच से मदद तो करनी चाहिए परन्तु अपने लिए आशियाना और खाने की व्यवस्था जरूर रखनी चाहिए ।
  • इतने भले- मानस, किशन दा किसी की मदद करने वाला, अच्छा इंसान, का जीवन का अंतिम समय अभाव में बीतता है।
  • इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि पुराने विचार और परंपरागत विचार जीवित तो रहने चाहिए, पर पीढ़ियों के अंतर को समझते हुए अपने लिए भी कुछ धन बचाना चाहिए, जिससे जितनी बची हुई जिंदगी है निर्वहन हो सके, और अभाव में ना रहे।

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