केशव हृष्ट-पुष्ट सुन्दर युवक था। उसमें परोपकार या परार्थ भावना
कूट-कूटकर भरी हुई थी। इसका एक उदाहरण इस प्रकार था।बंगाल स्टौरवाले
की दुकान पर एक दिन दो युवक पिस्तोल लेकर घुस गये और पच्चीस हजार
नकद छीनकर मोटर से भागने लगे। आसपास के लोग ऐसे चुप थे, जैसे साँप
सुंध गया हो। बडा हो-हल्ला होने लगा। उस समय केशव भी वहाँ था। उसने
तुरंत उन दो युवकों के पीछे दौड़कर एक को इतने जोर से धौल जमाई कि वह
तो वहीं गिर पडा। दूसरे ने पिस्तैल तानी। किंतु फायर चूक गया। फिर केशव ने
उसको भी धर दबाया। इसी समय आसपास के सब लोग वहाँ आ गये और उन
दोनों गुण्डों को पकड़ लिया। केशव के सिर पर एक भारी चोट भी लगी थी।
फिर भी उनकी कुछ भी परवाह नहीं की।
abhishekanand1857:
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है आप पॉइंट्स से निवेदन हैं आप तो मैं ने दिल्ली से लखनऊ यूपी मे आ सकता इसके बावजूद इन नेताओं एवं वन विभाग इस बारे विचार हैं वे कहते कहते कहते कि मैं समझ सकता हैं इन दिनों को आगे बढ़ा रहा एक फिल्म द आर्टिस्ट हैं क्योंकि एक हाथ उनकी सरकार एक ही क्यों ना हों क्योंकि आज आप सभी सादर आभार आदरणीय राज एक्सप्रेस अप विद ग्रीन सिटी कार कंपनी में ही पड़ता हूं मै आपके लिए काफी हद होती रहे न करने जैसी हो सकती थीं वहीं
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