Hindi, asked by shailjashukla852, 6 months ago

कृषि ग्राम योजना क्या है​

Answers

Answered by harsh2487
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Explanation:

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

प्रस्तावना

आरकेवीवाई के उद्देश्य

आयोजन एवं कार्यान्वयन

फोकस क्षेत्र (उत्पादन वृद्धि)

प्रस्तावना

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के अधिक समग्र एवं समेकित विकास को सुनिश्चित करने के लिए कृषि जलवायुवीय, प्राकृतिक संसाधन और प्रौद्योगिकी को ध्यान में रखते हुए गहन कृषि विकास करने के लिए राज्यों को बढ़ावा देने हेतु एक विशेष अतिरिक्त केंद्रीय सहायता (एसीए) योजना की शुरूआत भारत सरकार ने वर्ष 2007-08 राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की शुरूआत की थी जो तब से प्रचालन में है।

आरकेवीवाई के उद्देश्य

आरकेवीवाई का उद्देश्य कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करते हुए 12वीं योजना अवधि के दौरान वांछित वार्षिक वृद्धि दर को प्राप्त करना और उसको बनाए रखना है।

योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

राज्यों को प्रोत्साहित करना ताकि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जा सके।

राज्यों को कृषि एवं संबद्ध योजनाओं के नियोजन एवं निष्पादन की प्रक्रिया में शिथिलता एवं स्वायतता प्रदान करना।

कृषि जलवायुवीय स्थितियों, प्रौद्योगिकी एवं प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर जिला एवं राज्यों हेतु कृषि योजनाएं बनाई जाएं, यह सुनिश्चित करना ।

यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय आवश्यकताएं/फसलों/ प्राथमिकताओं को राज्य की कृषि योजनाओं में ठीक प्रकार से प्रदर्शित किया जाए।

केंद्रीत कार्यकलापों के माध्यम से महत्वपूर्ण फसलों में उपज अंतर को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करना|

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में किसानों को अधिकतम लाभ प्रदान करना।

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न घटकों का समग्र प्रकार से समाधान करके उत्पादन एवं उत्पादकता में परिवर्तन लाना।

आयोजन एवं कार्यान्वयन

स्कीम के कार्यान्वयन हेतु राज्य कृषि विभाग नोडल विभाग रहेगा । प्रशासनिक सुविधा तथा कार्यान्वयन को आसान करने के लिए राज्य सरकारें फास्ट ट्रैक संबंधी स्कीम के कार्यान्वयन हेतु एक विशेष एजेंसी स्कीम की पहचान और गठन कर सकती है जहां इस प्रकार की एजेंसी गठित/अभिनामित की जाती है, वहां आरकेवीवाई के उपयुक्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व राज्य कृषि विभाग का होता है ।

ऐसी स्थिति में जहां राज्य एक नोडल एजेंसी को अभिजात करते हैं, एजेंसी को चलाने की लागत, आरकेवीवाई आबंटन के विशेष स्कीमों को छोड़कर 1% सीमा तक पूरा किया जाएगा।

राज्य अपने स्वयं के संसाधनों से 1% की सीमा से अधिक कोई भी प्रशासनिक व्यय को पूरा कर सकते हैं ।

फोकस क्षेत्र (उत्पादन वृद्धि)

मुख्य खाद्य फसलों जैसे गेहूँ,धान,मोटे अनाज,छोटे कदन्न,दलहन तथा तिलहन का समेकित विकास: किसानों को प्रमाणित/ एचवाईवी बीजों की उपलब्धता; प्रजनक बीजों के उत्पादन; आईसीएआर, सार्वजनिक क्षेत्र बीज निगमों से प्रजनक बीजों की खरीद; आधारी बीजों का उत्पादन; प्रमाणित बीजों का उत्पादन; बीज उपचार; प्रदर्शन स्थलों पर किसान फील्ड स्कूल; किसानों को प्रशिक्षण आदि के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है । अन्य फसलों जैसे गन्ना, कपास तथा अन्य फसल/ प्रजातियां जो राज्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, के विकास के लिए इसी प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी।

कृषि मशीनीकर फार्म मशीनीकरण प्रयासों विशेष रूप से उन्नत तथा महिला अनुकूल उपकरणों, औजारों तथा मशीनरी के लिए वैयक्तिक लाभार्थियों को सहायता प्रदान की जा पिकर आदि जिनका निजी स्वामित्व आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है, के लिए सहायता दी जा सकती है । सहायता केवल आरकेवीवाई (अवसंरचना तथा सम्पति) स्ट्रीम के तहत कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना के लिए सीमित होनी चाहिए ।

मृदा स्वास्थ्य की वृद्धि के संबंध में गतिविधियां: किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण; सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदर्शन; प्रचार/उपयोग साहित्य के मुद्रण सहित जैविक खेती के प्रोन्नयन के लिए किसानों को प्रशिक्षण; क्षारीय तथा अम्लीय जैसी स्थितियों से प्रभावित मृदा के सुधार के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है ।

पनधारा क्षेत्रों में तथा के बाहर वर्षा सिंचित कृषि प्रणाली का विकास: गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे के किसानों को आजीविका प्रदान करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली (कृषि, बागवानी, पशुधन, मात्स्यिकी आदि) के प्रसार के लिए सहायता।

समेकित कीट प्रबंधन स्कीमें: इसमें कीट प्रबंधन प्रणालियां; साहित्य/ अन्य जागरूकता कार्यक्रमों के मुद्रण पर फार्म फील्ड स्कूलों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण देना शामिल होगा।

विस्तार सेवाओं को प्रोत्साहन: इसमें कौशल विकास के लिए नई पहलें तथा कृषक समुदाय को प्रशिक्षण तथा मौजूदा राज्य कृषि विस्तार प्रणाली का पुनरोद्धार शामिल होगा।

बागवानी उत्पादन की वृद्धि से संबंधित गतिविधियां: नर्सरी विकास तथा अन्य बागवानी गतिविधियों के लिए सहायता उपलब्ध होगी।

पशुपालन तथा मात्स्यिकी विकास गतिविधियां: चारा उत्पादन में सुधार, पशु तथा भैंसों का आनुवांशिक अपग्रेडेशन, दूध उत्पादन में वृद्धि, चमड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल के आधार में वृद्धि, पशुधन स्वास्थ्य में सुधार, कुक्कुट पालन विकास, छोटे पशुओं तथा बढ़े हुए मछली उत्पादन के विकास के लिए सहायता उपलब्ध होगी।

किसानों के लिए अध्ययन दौरा: किसानों का देश भर में विशेष रूप से अनुसंधान संस्थानों, मॉडल फामाँ आदि का अध्ययन दौरा ।

जैविक तथा जैव उर्वरक: ग्राम स्तर पर विकेन्द्रित उत्पादन तथा उसके विपणन आदि के लिए सहायता । बेहतर उत्पादन के लिए इसमें वमों कम्पोस्टिंग तथा बेहतर प्रौद्योगिकियों को शुरू करना शामिल है ।

रेशम पालन: कोकून तथा रेशम धागा उत्पादन तथा विपणन के लिए विस्तार प्रणाली

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