कृषि जैव विविधता क्या है
Answers
Explanation:
यद्यपि कृषि जैव-विविधता शब्द नया है परंतु इसकी अभिधारणा पुरानी है। यह किसानों, चरवाहों तथा मत्स्य पालनकर्ताओं द्वारा सावधानीपूर्वक किये गये चयन एवं खोजपूर्ण विकास का परिणाम है। यह मानव जाति द्वारा भोजन तथा कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण विभिनन जैविक सम्पदा के निरंतर रख-रखाव द्वारा सृजित होती है। इस प्रकार कृषि जैव-विविधता, जिसे एग्रो बायो-डायवर्सिटी भी कहते हैं, के अंतर्गत निम्नांकित सम्मिलित हैं-फसलों की किस्में, पालतू जानवरों तथा मछलियों की प्रजातियों, जंगलों में उपलब्ध प्राकृतिक सम्पदा, जंगली क्षेत्र तथा जलीय पारिस्थितिक तंत्र।उत्पादन पारिस्थितिक तंत्र की खाद्यान्न उत्पादन में सहायक स्वत: उत्पन्न प्रजातियाँ जैसे- मिट्टी के सूक्ष्म जीव, परागण करने वाले जीव आदि।
वृहद वातावरण की स्वत: उत्पन्न प्रजातियाँ जो खाद्य उत्पादन पारिस्थितिक तंत्र का अंग हैं (कृषि, चारागाह, जंगल तथा जलीय पारिस्थितिक तंत्र)।
इस प्रकार कृषि जैव-विविधता केवल मनुष्य के कार्यकलापों का परिणाम नहीं है तथा मानव जीवन न सिर्फ खाद्य एवं अन्य पदार्थों के लिये इस पर निर्भर है अपितु भूमि के उन क्षेत्रों के रखरखाव के लिये भी है, जो उत्पादन के वृहद वातावरण के संरक्षण हेतु आवश्यक हैं। इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खाद्य एवं कृषि (यथा फसलें, मवेशी, जंगल तथा मत्स्य पालन आदि) को प्रभावित करने वाले जीव-जंतुओं, वनस्पतियों तथा सूक्ष्म जीवों के प्रकार एवं नई किस्में सभी कृषि जैव-विविधता का अंग हैं। इसमें जैविक सम्पदा की किस्में (प्रजाति एवं प्रकार आदि) तथा भोजन, चारा, रेशा, ईंधन एवं औषधि आदि सम्मिलित हैं। इसमें स्वत: स्फूर्त प्रजातियाँ जैसे- सूक्ष्म जीव, परागण करने वाले जीव आदि जो उत्पादन को प्रभावित करते हैं, सम्मिलित हैं तथा वृहद वातावरण के कृषि-पारिस्थितिक तंत्र के उपांग (कृषि, चारागाह, जंगली क्षेत्र, जलीय क्षेत्र) के साथ ही स्वंय कृषि-पारिस्थितिक तंत्र भी सम्मिलित है।