कृषि क्षेत्र में कौन-सी बेरोजगारी अधिक पायी जाती है?
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Explanation:
कृषि क्षेत्र मे प्रछन्न बेरोजगारी अधिक पायी जाती है। प्रक्षन्न बेरोजगारी वह है जिसमे श्रमिक आवश्यकता से अधिक काम करते है लेकिन कुछ लोगो की उत्पादकता शून्य होती है ।
जैसे यदि किसी कंपनी मे 500 मजदूर काम करते है यदि इनमे से 5 मजदूर को हटा दे तो भी उत्पादकता मे को परिवर्तन नही होता। इन हटाये गये 5 लोगो को प्रक्षन्न रूप से बेरोजगार कहा जायेगा।
भारत की कृषि मे इस प्रकार की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है।
कृषि के क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी अधिक पाई जाती है।
Explanation:
मौसमी बेरोजगारी से तात्पर्य मौसम के कारण उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी से है। कृषि का सारा कार्य मौसम पर निर्भर होता है। मौसम में जरा भी अनियमितता पूरी कृषि को चौपट कर सकती है। भारत में कृषि मौसम पर और अधिक आधारित है। यदि एक मौसम में बारिश नहीं हो तो पूरी फसल चौपट हो जाती है और किसानों में बेरोजगारी की स्थिति आ जाती है।
इसके अतिरिक्त अत्याधिक बारिश या बाढ़ अथवा ओलावृष्टि आदि जैसे कारण भी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं और किसान का परिश्रम बेकार जाता है। ऐसी स्थिति में भी किसानों में बेरोजगारी की स्थिति आ जाती है क्योंकि उनके पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होता। कुछ फसलें ऐसी होती हैं जो किसी विशिष्ट मौसम में ही विकसित होती हैं और यदि उस विशिष्ट मौसम अनियमितता हो तो किसान ने जो फसल बोई है, वो विकसित नही हो पाती और किसान की लागत और मेहनत बेकार जाती है, इस कारण भी किसान में बेरोजगारी की स्थिति आ सकती है।