कृषि के वाणिज्य करण के कारण किन फसलों के प्रति कृषको पर विशेष दबाव पढ़ा और क्यों?
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कृषि के व्यावसायीकरण का अर्थ है स्व-उपभोग के बजाय बाजार में बिक्री के लिए फसलों का उत्पादन करना।मुख्य कारक ब्रिटिश शासन के तहत भारत की औपनिवेशिक अधीनता थी। भारत ब्रिटेन को कच्चे माल और खाद्यान्न के आपूर्तिकर्ता और ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं के आयातक के लिए कम कर दिया गया था। ब्रिटेन में मांग को पूरा करने के लिए कपास, जूट, चाय, तंबाकू जैसी कई व्यावसायिक फसलें पेश की गईं।
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[tex]कृषि अर्थशास्त्र (Agricultural economicsgfd fusdhs या Agronomics) मूल रूप में वह विधा थी जिसमें फसलों उत्पादन एवं जानवरों के पालन में अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रयोग करके इसे अधिक उपयोगी बनाने की कोशिशों का अध्ययन किया जाता था। पहले इसे 'एग्रोनॉमिक्स' कहते थे और यह अर्थशास्त्र की वह शाखा थी जिसमें भूमि के बेहतर उपयोग का अध्ययन किया जाता था
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