क्षीण चांदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। लगता जैसे कोई मग थककर बैठ गई हो। हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं। अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।
1 . लेखक को बस की दशा कैसी लग रही थी
2. बस के खराब हो जाने पर चालक ने उसे खा रोका
3. जिस समय बस चल रही थी उस समय आसमान केसा था।
पाठिन गद्यांश के कोई उत्तर दे दीजिए
Answers
क्षीण चांदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। लगता जैसे कोई मग थककर बैठ गई हो। हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं। अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।
1. लेखक को बस की दशा कैसी लग रही थी
➲ लेखक को बस की दशा दयनीय लग रही थी।
2. बस के खराब हो जाने पर चालक ने उसे कहाँ रोका
➲ बस के खराब हो जाने पर चालक ने उस बियाबान जंगल में एक पेड़ के नीचे रोका।
3. जिस समय बस चल रही थी उस समय आसमान केसा था।
➲ जिस समय बस चल रही थी, उस समय आसमान में धीमी सी चाँदनी छायी थी।
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Answer
क्षीण चांदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। लगता जैसे कोई मग थककर बैठ गई हो। हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं। अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।
Explanation
1. लेखक को बस की दशा कैसी लग रही थी
➲ लेखक को बस की दशा दयनीय लग रही थी।
2. बस के खराब हो जाने पर चालक ने उसे कहाँ रोका
➲ बस के खराब हो जाने पर चालक ने उस बियाबान जंगल में एक पेड़ के नीचे रोका।
3. जिस समय बस चल रही थी उस समय आसमान केसा था।
➲ जिस समय बस चल रही थी, उस समय आसमान में धीमी सी चाँदनी छायी थी।