कृष्ण की भक्ति में डूबने से मीरा को कौन-कौन से दुख उठाने पड़े
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➲ मीरा को भक्ति मार्ग पर चलने के लिए अनेक तरह की दुख-बाधाओं का सामना करना पड़ा था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की भक्तिन थीं, वह कृष्ण के प्रति अपने प्रेम अनुराग में कृष्ण को ही अपना पति मान बैठी थीं।उनकी भक्ति को देखकर उनके घर-परिवार और समाज की तरफ से उनका विरोध होता था, लोग उनका तिरस्कार करते थे और कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति को लोग उनका पागलपन मानकर उनका उपहास उड़ाते थे।
मीराबाई कृष्ण को ही अपना पति मानती थी, इसलिये वो विवाह नही करना चाहती, यद्यपि उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ कर दिया गया था। विवाह के बाद भी उनकी भक्ति अनवरत जारी रही और मंदिरों में जाकर श्री कृष्ण की मूर्ति के आगे घंटों तक नाचती रहती थीं। उनके पति के ससुराल वालों को ये अच्छा नहीं लगता और उन्होंने कई बार मीराबाई को विष आदि देकर मारने की भी कोशिश की। बाद में पति की मृत्यु होने पर उनके ससुरालवालों ने उन्हे पति की चिता के साथ सती करने का भी प्रयास किया था, लेकिन सफल नही हो सके।
ससुरालवालों की निरंतर प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने घर छोड़ दिया और मथुरा-वृंदावन आकर रहने लगीं। बाद में वो द्वारिका चली गयीं, जहाँ कृष्ण के प्रति भक्ति करते हुई ही उनकी मूर्ति में विलीन होकर ही मीराबाई की मृत्यु हो गयी।
इस तरह मीराबाई ने भक्ति मार्ग में अनेक कठिनाइयों और बाधाओं का सामना किया था।
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