कृष्ण की चेतावनी कविता का भावार्थ
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कृष्ण की चेतावनी कविता का भावार्थ :
कृष्ण की चेतावनी कविता का भावार्थ
व्याख्या :
‘कृष्ण की चेतावनी’ कविता रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ग्रंथ ‘रश्मिरथी’ में उल्लिखित है। इस कविता के माध्यम से कवि दिनकर जी ने कृष्ण की चेतावनी का उल्लेख किया है।
पांडवों द्वारा कौरवों से केवल 5 गांव मांगने के बावजूद दुर्योधन सुई की नोक के बराबर जमीन देने के लिए तैयार नहीं हुआ। कृष्ण जब जब पांडवों के दूत बनकर दुर्योधन के दरबार में पांडवों का ये प्रस्ताव लेकर पहुंचे तो पांडवों के इस प्रस्ताव को जब दुर्योधन नहीं माना। कृष्ण युद्ध की चेतावनी देते हुए कहा था कि तुम पांडवों को कमजोर समझ रहे हो। वे सत्य के मार्ग पर चलना चाहते हैं, लेकिन तुम विध्वंस के मार्ग पर जाने की कोशिश कर रहे हो। वह न्याय चाहते हैं लेकिन तुम अन्याय करना चाहते हो। वह तुमसे कुछ पाने की आशा रखते हैं लेकिन तुम उनका सब कुछ छीन लेना चाहते हो। तुम्हारा काल विनाश काल दिख रहा है, इसलिए तुम्हारा बुद्धि विवेक नष्ट हो गया है। तुम किसी के समझाने से नहीं मान रहे। इसका परिणाम भयंकर हो सकता है। अब याचना नहीं अब रण होगा और पांडव अपने अधिकार के लिए युद्ध करेंगे।