कृष्ण प्रेम में डूबी गोपी क्यों श्याम लीग में डूब कर भी उसे छोड़ना नहीं चाहते
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कृष्ण-भक्त कवियों ने अपने काव्य में गोपी-कृष्ण की रासलीला को प्रमुख स्थान दिया है। सूरदास के राधा और कृष्ण प्रकृति और पुरुष के प्रतीक हैं और गोपियाँ राधा की अभिन्न सखियाँ हैं। राधा कृष्ण के सबसे निकट दर्शाई गई हैं, किंतु अन्य गोपियाँ उनसे ईर्ष्या नहीं करतीं। वे स्वयं को कृष्ण से अभिन्न मानती हैं। भागवत की प्रेरणा लेकर पुराणों में गोपी-कृष्ण के प्रेमाख्यान को आध्यात्मिक रूप दिया गया है। इससे पहले 'महाभारत' में यह आध्यात्मिक रूप नहीं मिलता। इसके बाद की रचनाओं- 'हरिवंशपुराण' तथा अन्य पुराणों में गोप-गोपियों को देवता बताया गया है, जो भगवान श्रीकृष्ण के ब्रज में जन्म लेने पर पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।
"ता मन्मनस्का मत्प्राणा मदर्थे त्यक्तदैहिका:।
मामेव दयितं प्रेष्ठमात्मानं मनसा गता:॥"
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