कृष्ण प्रेम में लिप्त गोपियों की मनोदशा कैसी थी?
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कृष्ण प्रेम में लिप्त गोपियों की दशा ऐसी थी जैसे मानो बिना पानी मछली। क्योंकि गोपियां कृष्ण जी को बहुत चाहती थी। अथवा पसंद करती थी
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Answer:
सूरदास के पदों के आधार पर यह पता चलता है उद्धव को स्वयं के निर्गुण ज्ञान का अभिमान था। सूरदास अपने पद माध्यम से एक व्यंग्य किया है कि उद्धव कृष्ण के निकट उनकी महत्ता को नही जान पाये और अपने ज्ञान दर्प में ही रहे। अपने ज्ञान के अभिमान में वह गोपियों के श्री कृष्ण के प्रति आदर्श और पवित्र प्रेम को नहीं समझ पाए।
वह गोपियों को निर्गुण ज्ञान पर चलने के उपदेश देते रहे, जबकि गोपिया श्रीकृष्ण के प्रति पवित्र प्रेम में डूबी हुईं थीं और न उन पर उद्धव के ज्ञान के उपदेशों का कोई असर नही होता था।
गोपियों के अनुसार उद्धव किसी दृष्टि के साथ रहते हुए भी श्री कृष्ण प्रेम से अछूते हैं अर्थात उद्धव अभी गोपियों की मनोदशा नहीं समझ पा रहे हैं |
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