क्षीणोपाये
महेश्वरं
प्रत्यक्षरं
गिरिजयाप्यर्ध्द
देवेत्थं
कालविव
इतानुद्यमपरा
राजावितुष्ट:
वचनामाकर्ण्य
हर्षासूणि
भविष्यतीति
कौपीनावशेषो
इसमें से किसी का भी सन्धि विच्छेद कर तुरंत बताए
Attachments:
Answers
Answered by
1
Answer:
moh + eshaer hoyacha ki Bob
Similar questions