Hindi, asked by chenaramkhakhal121, 1 year ago

कृष्ण-सुदामा के समय में दूपद और द्रोणाचार्य भी परस्पर गहरे मित्र थे, परंतु उनकी मित्रता को आदर्श के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। घर के किसी बड़े, इंटरनेट या पुस्तक से उनकी कहानी को पढ़िए और उसका सार नीचे लिखिए।​

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Answer:

द्रोणाचार्य और द्रुपद की कहानी

Explanation:

महाभारत काल में जहां श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता हमारे लिए एक मिसाल बनी वहीं राजा द्रुपद और गुरु द्रोणाचार्य की कहानी हमें यही सीख देती है कि कभी किसी से झूठा वादा नहीं करना चाहिए।यदि वादा करो तो ज़रूर निभाओ।

बचपन में राजा द्रुपद और गुरु द्रोणाचार्य परम मित्र थे क्यूंकि वो दोनो एक ही गुरुकुल में साथ पढ़ते थे और उनका साथ ही उठना बैठना था।

जब उनकी शिक्षा पूरी हुई तब द्रुपद ने कहा कि हे मित्र मेरे राज्य में तुम्हारा भी बराबर ही अधिकार होगा।

लेकिन जब गुरु द्रोणाचार्य घोर गरीबी में उनसे मदद मांगने गए तो द्रुपद अपने वादे से मुकर गए।वो बोले की मैंने तो मज़ाक किया था और तुम्हारी और मेरी मित्रता कैसे हो सकते है।राजा की मित्रता किसी राजा से ही हो सकती है किसी गरीब शिक्षक से नहीं।कुछ समय बाद द्रोणाचर्य ने द्रुपद से बदला लिया जब वो कौरवों और पांडवो के गुरु बने।उन्होंने कौरवों और पांडवो का युद्ध द्रुपद से कराया और द्रुपद को बंदी बना केर मुक्त कर दिया।

कुछ समय बाद द्रुपद ने भी बदला लिया जब द्रुपद के बेटे धृष्टद्यम्न ने द्रोणाचर्य का वध केर दिया।

ये कहानी मित्रता को मिसाल हो ही नहीं सकती।अपने मित्र को माफ कर देना और उसकी मदद करना ही मित्रता है ना कि बदला लेना

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