English, asked by sahilkalbhor18, 3 months ago

कृष्णरावांची भूमिका बजावली नाटकाचे नाटककार​

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Answered by BlazeFlick
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पारम्परिक सन्दर्भ में, नाटक, काव्य का एक रूप है (दृष्यकाव्य)। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है।

Answered by atolevandana06
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नारायण श्रीपाद राजहंस

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