कृषि और उद्योग वक दूसरे से पृथक नहीं है. ये एक दूसरे के पूरक है. स्पष्ट कीजिये?
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कृषि और तो एक दूसरे से पृथक नहीं है बल्कि यह एक दूसरे के पूरक हैं कुछ उदाहरणों के द्वारा इससे साबित किया जा सकता है।
जैसे सूती वस्त्र उद्योग जो कि कपास के उत्पादन पर निर्भर करता है। कपास सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चे माल का कार्य करती है।
इसी तरह से चीनी उद्योग के लिए जो कच्चा माल है वह है गन्ना। गन्ना की खेती कर गन्ना का उत्पादन किया जाता है जिस के रस से चीनी बनाए जाते हैं।
जूट उद्योग के लिए कच्चा माल जूट खेती के द्वारा ही पाया जाता है।
कागज बनाने के लिए हम बास , साबे घास आदि पर निर्भर करते हैं। यह भी हम कृषि के द्वारा ही पाते हैं।
पेड़ पौधों की लकड़ियों से फर्नीचर बनाए जाते हैं तो यह उद्योग भी कृषि पर निर्भर है।
असम दार्जिलिंग में चाय की खेती होती है और भारतीय चाय दुनिया में अपना बहुत उच्च स्थान रखती है।
यह सब उदाहरण यह साबित करती है कि कृषि और उद्योग एक दूसरे के पूरक है पृथक नहीं। दोनों ही हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है।