(४) क्षेत्र-अध्ययन के दौरान कचरे का व्यवस्थापन कैसे करेंगे?
(मार्च '१९)
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कचरा प्रबंधन इस दिशा में उठाया गया बेहतरीन कदम साबित हो रहा है। कचरा निस्तारण, रीसायक्लिंग, कचरे से ऊर्जा उत्पादन इन सभी को कचरा प्रबंधन या वेस्ट मैनेजमेंट कहा जाता है। रीसायक्लिंग से कई उपभोक्ता वस्तुएं बाजार में दोबारा उपलब्ध हो जाती है जो कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कमी ला रही है। एल्युमिनियम, तांबा, स्टील, कांच, कागज और कई प्रकार के प्लास्टिकों की रीयासक्लिंग की जा सकती है। धातुओं की रीसायक्लिंग करने से मांग के अनुरूप कई वस्तुएं बाजार में उपलब्ध हो जाती है और खनन में कमी आती है।
कागज को रीसायकल कर कम से कम उतने और पेड़ों को तो कटने से रोका जा सकता है। वहीं कचरा निस्तारण में घरों से निकले आर्गेनिक कचरे को बायो कंपोस्ट और मीथेन गैस में बदल कर लोगों द्वारा उपयोग किए गए खाद्य पदार्थों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। मीथेन गैस जहां ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है वहीं जैविक खाद मिट्टी की ऊर्वरता को स्वाभाविक रूप से बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह किसानों की कृत्रिम खाद पर निर्भरता को भी कम करती है। जैविक खाद से बने उत्पादों की बाज़ार में अच्छी खासी कीमत मिलती है।