क्षेत्रवाद के प्रति भारत सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट को।
क्षेत्रीय आकांक्षाओं अथवा क्षेत्रवाद के प्रति भारत सरकार का ?
पाताल लोकतानिकी
Answers
Explanation:
कोई भी मनुष्य जहाँ जन्म लेता है तथा जहाँ अपना जीवन व्यतीत करता है, उस स्थान के प्रति उसका लगाव होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में उसके द्वारा अपने क्षेत्र-विशेष को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक दृष्टि से सशक्त और उन्नत बनाना विकास प्रक्रिया का एक स्वाभाविक एवं अभिन्न अंग हो सकता है लेकिन जब यह भावना एवं लगाव अपने ही क्षेत्र विशेष तक सिमटकर अत्यंत संकीर्ण रूप धारण कर लेती है, तब क्षेत्रवाद की समस्या उत्पन्न होती है।
क्षेत्रवाद की अवधारणा:
क्षेत्रवाद एक विचारधारा है जिसका संबंध ऐसे क्षेत्र से होता है जो धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिये जाग्रत होती है या ऐसे क्षेत्र की पृथकता को बनाए रखने के लिये प्रयासरत रहती है।
इसमें राजनीतिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक और भाषायी आधार पर क्षेत्रों का विभाजन इत्यादि से संबंधित मुद्दों को शामिल किया जा सकता है।
जब क्षेत्रवाद की विचारधारा को किसी क्षेत्र विशेष के विकास से जोड़कर देखा जाता है तो यह अवधारणा नकारात्मक बन जाती है।