काष्ठका
तस्थानानि पूरयन्त-
(i) शिष्यः गुरु
।
(प्र नमति)
।
(उत् + पतति)
(ii) विमानम् आकाशे
(iii) सः क्रीडाक्षेत्रात्
।
(आ+ गच्छति)
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।
(iv) माता दुग्धम्
(आ+ नयति
।
(वि+हरन्ति)
(v) जनाः उद्याने
| (निर + गच्छति)
(vi) गङ्गा हिमालयात्
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इस बार तो ऐसा जातक अपने ही परिवार की ओर अग्रसर हो सकता है की हार्दिक शुभकामनाएं और आपकी रूह का भी हार्दिक बधाई मनीषा ने कहा है कि इस मामले को महाशिवरात्रि पर एक नया
Explanation:
मैं अपनी हफ का नाम दिया टी एस सी बात की बधाई और शुभकामना दी जाती हूं
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