History, asked by devendrasinghyadav36, 9 months ago

कृषि व्यवसायीकरण के गुण, दोष लिखिर​

Answers

Answered by AdaPetruccelli
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Answer:

(i) Source of livelihood: Agriculture is the main occupation.

(ii) Dependence on monsoon:

(iii) Labour intensive cultivation:

(iv) Under employment:

(v) Small size of holdings:

(vi) Traditional methods of production:

(vii) Low Agricultural production:

(viii) Dominance of food crops:

(i) आजीविका का स्रोत: कृषि मुख्य व्यवसाय है। ...

(ii) मानसून पर निर्भरता: ...

(iii) श्रम गहन खेती: ...

(iv) रोजगार के तहत: ...

(v) जोत का छोटा आकार: ...

(vi) उत्पादन के पारंपरिक तरीके: ...

(vii) कम कृषि उत्पादन: ...

(viii) खाद्य फसलों का प्रभुत्व

Answered by bhatiamona
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कृषि व्यवसायीकरण के गुण, दोष लिखिए:

कृषि व्यवसायीकरण का अर्थ: कृषि के व्यवसायीकरण से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खाद्यान्न फसलों को व्यक्तिगत उपयोग अथवा पारिवारिक निर्वाह हेतु उत्पादित ना करके बाजार पर आधारित व्यवस्था के अंतर्गत उत्पादित किया जाए तथा ऐसी फसलों का उत्पादन किया जाए, जिनका बड़े स्तर पर विक्रय किया जा सके और लाभ कमाया जा सके। कृषि के व्यवसायीकरण के गुण और दोष इस प्रकार हैं...

कृषि के व्यवसायीकरण के गुण...

  • कृषि के व्यवसायीकरण से अर्थव्यवस्था को एक नया रूप मिलता है और देश की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ जाती है।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से उद्योगों को बढ़ावा मिलता है, और उद्योगों के लिये कच्चे माल के संकट को सुलझाया जा सकता है।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से राष्ट्रीय कृषि के विकास को प्रोत्साहन मिलता है तथा कृषि की समस्या स्थानीय ना होकर राष्ट्रीय स्तर की हो जाती है।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से कृषि के संबंध में एक राष्ट्रीय नीति बनाने की प्रेरणा मिलती है, जिससे कृषि को लाभ होता है।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से किसानों को उनकी फसलों के विक्रय के लिये अधिक विकल्प मिलते हैं और उन्हें अपनी फसलों का उचित मूल्य मिल जाता है।

कृषि के व्यवसायीकरण के दोष...

  • कृषि के व्यवसायीकरण में एक ऐसे तंत्र के विकसित होने की संभावना हो जाती है, जो किसानों का शोषण कर सके।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से वाणिज्यिक फसल को अधिक मान्यता दी जाती है, जिससे  किसान ऐसी फसलों के उत्पादन पर अधिक ध्यान देते हैं और खाद्यान्न फसलों पर कम ध्यान देते हैं।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से छोटे-छोटे किसानों के हितों की रक्षा नहीं हो पाती और वह बड़े किसानों के आभामंडल में खो जाते हैं।
  • कृषि के व्यवसायीकरण से किसान अक्सर कंपनी या व्यवसायिक घरानों के बंधुआ मजदूर बनकर रह जाते हैं।
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