कृषकाणां वेदनां श्रुत्वा पथिकः तान् किं निर्दिष्टवान्? (किसानों की वेदना को सुनकर पथिक ने उन्हें क्या निर्देश दिया ?)
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पथिकः अकथयत् यत् शासकः तु निर्धनान् लुण्ठति अत: कररूपेण अन्नदानम् अवरुद्धं कुरुत। न कोऽपि कृषकः एकमपि अन्नकणं दास्यति शासकाय। (पथिक ने कहा कि शासक तो गरीबों को लूटता है, अतः कर के रूप में अन्न देना रोक दिया जाये। कोई भी किसान एक भी अन्न का दाना शासक को नहीं देगा।)
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पथिकः अकथयत् यत् शासकः तु निर्धनान् लुण्ठति अत: कररूपेण अन्नदानम् अवरुद्धं कुरुत। न कोऽपि कृषकः एकमपि अन्नकणं दास्यति शासकाय। (पथिक ने कहा कि शासक तो गरीबों को लूटता है, अतः कर के रूप में अन्न देना रोक दिया जाये। कोई भी किसान एक भी अन्न का दाना शासक को नहीं देगा।)
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