कृषक समाज में सामाजिक एवं आर्थिक संबंधों को प्रभावित करने की मुगलकालीन जाति व्यवस्था किस हद तक एक कारक थी
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सोलवीं तथा 17 वीं शताब्दीयो के काल में भारत एक कृषि प्रधान देश था। देश में लगभग 85 प्रतिशत ग्रामों में निवास करती थी तथा प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से संबंधित थी ग्राम कृषक समाज का समाज की मौलिक इकाई था।किसान ग्रामों में रहकर कृषि का कार्य करते थे। वे पूरा साल अलग-अलग मौसम मैं पैदावार से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों जैसे:- जमीन की जुताई, बुवाई ( बीज बोना ) ओर कटाई मैं व्यस्त रहते थे कृषि समाज में सामाजिक एवं आर्थिक संबंधों के निर्धारण मैं जाति की भूमिका कठोर जाति व्यवस्था भारतीय समाज भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी । समाज अनेक जातियों तथा उप जातियों में विभक्त था । जिनकी संख्या 2000 से भी अधिक थी। उच्च जाति के लोग जातियों के लोग से घृणा करते थे। तथा उनसे किसी प्रकार का संबंध नहीं रखते थे ।
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