Hindi, asked by riyanerikar956151, 1 month ago

कृति 1, अ) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए: प्रभात का समय था, आसमान से बरसती हुई. प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन की वर्षा कर रही थीं। बारह घंटों के लगातार संग्राम के बाद प्रकाश ने अँधेरे पर विजय पाई थी। इस खुशी में फूल झूम रहे थे, पक्षी मीठे गीत गा रहे थे, पेड़ों की शाखाएँ खेलती थीं और पत्ते तालियाँ बजाते थे। चारों तरफ खुशियाँ झूमती थीं। चारों तरफ गीत गूंजते थे। इतने में साधुओं की एक मंडली शहर के अंदर दाखिल हुई। उनका खयाल था - मन बड़ा चंचल है। अगर इसे काम न हो, तो इधर-उधर भटकने लगता है और अपने स्वामी को विनाश की खाई में गिराकर नष्ट कर डालता है। इसे भक्ति की जंजीरों से जकड़ देना चाहिए। साधु गाते थे - सुमर - सुमर भगवान को, मूरख मत खाली छोड़, इस मन को। जब संसार को त्याग चुके थे, उन्हें सुर-ताल की क्या परवाह थी। कोई ऊँचे स्वर में गाता था, कोई मुँह में गुनगुनाता था। और लोग क्या कहते हैं, इन्हें इसकी जरा भी चिंता न थी। ये अपने राग में मगन थे कि सिपाहियों ने आकर घेर लिया और हथकड़ियाँ लगाकर अकबर बादशाह के दरबार को ले चले। यह वह समय था जब भारत में अकबर की तूती बोलती थी और उसके मशहूर रागी तानसेन ने यह कानून बनवा दिया था कि जो आदमी रागविद्या में उसकी बराबरी न कर सके, वह आगरे की सीमा में, गीत न गाए और जो गाए, उसे मौत की सजा दी जाए। बेचारे बनवासी साधुओं को पता नहीं था परंतु अज्ञान भी अपराध है। मुकदमा दरबार में पेश हुआ। तानसेन ने रागविद्या के कुछ प्रश्न किए। साधु उत्तर में मुँह ताकने लगे। अकबर के होंठ हिले और सभी साधु तानसेन की दया पर छोड़ दिए गए। 1) कृति पूर्ण कीजिए। (01) gadhyansh ke prayukt Patra

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Answered by sunilkumar124377
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Answer:

sadhu Or akbar ki baat ek maan ki isthir ko dekhta h

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