India Languages, asked by dilipdhansingbedwal, 2 months ago

कृति 4 : (स्वमत अभिव्यक्ति)
'शारीरिक श्रम स्वास्थ के लिए अति उत्तम' विषय पर अपने विचार लिखिए
:3.श्रम साधना​

Answers

Answered by altor420
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Explanation:

आज समाज और देश जिस वातावरण और आधुनिकता के दौर से गुजर रहा है, आने वाला समय हमारे स्वास्थ और समाज के लिए अच्छा नहीं होगा| ऑटोमेशन और कम्प्यूटराइजेशन ने पुरे देश और सामाज को पंगु बना दिया है| लोग आधुनिकता और चमक दमक की जीवन के अभ्यस्त होते जा रहे है जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ पर पड़ रहा है| स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है, इस कहावत का इस अधिनुक युग में कोई मतलब नहीं है, परन्तु यह कहावत सदैव सही है जब तक हम स्वस्थ नहीं रहंगे तबतक कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता है| आज के इस ऑटोमेशन और कम्प्यूटराइजेशन के आधुनिक युग में देश समाज का हर दूसरा ब्यक्ति किसी न किसी अशाध्य रोग से पीड़ित है साथ ही हर ब्यक्ति कोई न कोई दवा का सेवन करता है| इस कथन से हर ब्यक्ति सहमत होगा, परन्तु वह इसके मूल कारन और निवारण की तरफ कभी भी ध्यान नहीं देता होगा|

हर डॉक्टर और मरीज भी इस बात को जानता और समझता है फिर भी वह इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है जिसका कारन सिर्फ भाग दौड़ भरी जिन्दगी जिसमे पैसा ही सब कुछ है पर सभी का ध्यान है| पैसा अवश्य जरूरी है पर सब कुछ केवल पैसा नहीं हो सकता है क्यों कि यदि पैसा बहुत हो भी और उसका उपयोग सिर्फ दवा के लिए हो इससे क्या फायदा होगा| स्वास्थ का सीधा सम्बन्ध निरोग शरीर से है और शरीर का सम्बन्ध श्रम से, अब जबतक हम शारीरिक श्रम नहीं करेंगे तब तक हम स्वस्थ नहीं रह सकते है| श्रम का मतलब केवल टहलने और व्यायाम से नहीं है ये तो अस्वस्थ शरीर को स्वस्थ रखने की उपचार है| शारीरिक श्रम का मतलब श्रम दान से है जिसमे आप कोई भी कार्य श्रम द्वारा करे और शरीर को एक सीमा तक थका दे| आज के दौर में श्रम दान शब्द समाज से ख़तम हो चूका है| खेती बारी, घर बाहर के दैनिक कार्य सभी आधुनिकता का रूप ले चुके है| खेती करने के रोज़ नयी नयी तकनिकी और उपकरणों का आविष्कार हो रहा है, जिसे किसान प्रयोग कर खेती को तो सरल और उत्पाद को बढ़ा कर पैसा कमा ले रहे पर, उसका असर उनके स्वास्थ और शरीर पर क्या पड़ रहा है इससे अनिभिज्ञ रह रहे है, और बीमारी होने पर सारा पैसा दवाओं, हॉस्पिटल तथा डाक्टर को दे दे रहे है, और गौरवन्वित मह्शूश करते है की मैंने दिल्ली, बम्बई और विदेश में इलाज कराया|

इसी प्रकार शहरों में पैसा कमाने के लिए लेबर और गैर अधिकारी वर्ग के लोग दिन दुनी रात चौगुनी मेहनत कर के पैसा कमा रहे है एक एक साथ कई काम कर रहे है, वही उच्च वर्ग के नौकरी पेशा लोग या तो आवश्यकता से अधिक कार्य करते है या फिर गलत तरीको का प्रयोग कर पैसा कमाने की होड़ में लगे हुए है उन्हें स्वास्थ से तब मतलब समझ में आती है जब बीमार होने पर बहुत ही बड़े डाक्टर से इल्लाज कराने जाते है और कहते है मैंने फला डाक्टर से इलाज कराया है, और फिर दवाओं का सेवन ज्यादा और खाने का कम खर्च ही धनाड्य और नामी होने की पहचान बनता जा रहा है| यदि यही परम्परा बनी रही तो आने वाले समय में स्वस्थ लोगो की संख्या इतनी कम होगी की फिर उनकी पहचान बड़े ही अस्सानी से हो जायेगी| यह समाज के साथ साथ सरकार के लिए भी एक गंभीर समस्या के साथ मुद्दा बन जायेगी| इस प्रकार समाज और सरकार दोनों को इअसके लिए योजनाये और आन्दोलन चलाना पडेगा जैसा की आज के समय में शिक्षा, भुखमरी, महगाई तथा सुरक्षा के लिए इया जा रहा है| देश का युवा जब स्वस्थ नहीं रहेगा तो फिर देश की रक्षा कौन करेगा, और इसी प्रकार अन्य सारी सामाजिक और सरकारी कार्यो में अक्षमता आने से देश कमजोर होगा जिसके भयावक परिणाम हो सकते है|

अत: हमें अभी से इस दिशा में सोचने, विचार करने और चिंतन करने के आवस्यकता है| सामाजिक सस्न्थानो और सरकार को इस दिशा में कार्य करने की अति आवश्यकता है, हमें स्वास्थ को शिक्षा से जड़ने की आबश्यकता बनानी चाहिए, स्चूलो में शारीरिक श्रम पर जोर देना चाहिए, पूर्व में चल रहे फिजिकल ट्रेनिग और गेम के पीरियड को अनिवार्य बनाना होगा| सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओ में आराम तलब की च्जो को हटाना होगा, आफिस आने जाने के किये पैदल, साएकिल को प्रोत्शाहन देना होगा, आफिस के छोटे मोटे काम को स्वत: करने ले लिए प्रेरित करना होगा| सामाजिक संस्थाओ द्वारा व्याम्शालो और पार्को का निर्माण पर जोर देकर उसके सदस्य बनाकर स्वास्थ और स्वस्थ रहने के तरीको का प्रचार प्रसार करना होगा तभी देश और समाज स्वस्थ होगा| यदि इस ओंर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में स्वास्थ के लिए भी क़ानून बनाने की आवस्यकता पड़ेगी, फिर जनमानस के साथ इसका भी राजनीतिकरण हो जाएगा, जिसमे आम जनता का ही नुकशान होगा जैसा की अभी तक के बने सारे कानून में हो रहा है|

Answered by pikaraohira736
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Answer:

शारीरिक श्रम स्वास्थ के लिए अति उत्तम'

Explanation:

दुनिया में स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है । तन और मन में गहरा संबंध होता है। एक स्वस्थ होगा, तो इसका सीधा प्रभाव दूसरे पर पड़ता है। यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ होगा, तो वह किसी भी भौतिक समस्या या परिस्थिति का सामना कर उसका समाधान निकाल सकता है। इससे उसके मन में किसी भी तरह की परेशानी व संशय का निर्माण नहीं होगा, अपितु इस सफलता से उसके मन में उत्साह बढ़ेगा और वह आगे की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा। इसके विपरीत यदि शारीरिक अस्वस्थता के कारण व्यक्ति किसी परेशानी में फँस जाता है, तो उसके मन पर इसका गहरा और गलत असर पड़ता है। वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। उसके मन में तरह-तरह की शंकाएँ आने लगती हैं। निराशा और दुख के कारण वह आगे की परिस्थितियों का सामना करने में भी असफल होता जाता है। इसका सीधा असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है और उसका स्वास्थ्य बिगड़ता जाता है। इसीलिए यह कहा जा सकता है कि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन एक-दूसरे के पूरक हैं।

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