किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए
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किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। इनसे दोस्ती करने वाला कभी अकेला नहीं रहता। ये मनुष्य को ज्ञान का अनमोल खजाना देती हैं और बदले में कुछ नहीं मांगती। न कोई शिकायत करती हैं और न ही रूठती हैं। अक्षरों के इस संसार में जीना कितना सहज व सरल है पर दुखद है कि आज किताबें पढ़ने के लिए किसी के पास समय ही नहीं है। भागदौड़ भरे जीवन में लोग पुस्तकालय जाना तो दूर घर में रखी किताबें भी पढ़ना नहीं चाहते। छोटे-बड़े सभी इंटरनेट, कंप्यूटर व टेलीविजन में खोए रहते हैं। पहले बाजार में कोई नई पुस्तक आती थी तो उसे पढ़ने व खरीदने के लिए होड़ लगी रहती थी, पुस्तकालय में पुस्तक को पढ़ने के लिए लोग इंतजार करते थे। आज पुस्तकालय में कोने वाली टेबल सूनी है। गिने-चुने लोग ही हैं जो वहां जाकर किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। माता-पिता भी बच्चों को पहले पुस्तक पढ़ने के प्रेरित करते थे पर आज वे कंप्यूटर व इंटरनेट की जानकारी देना पसंद करते हैं। सूचना व नई तकनीक से खुद को जोड़ना गलत नहीं पर पुस्तकों से नाता जुड़ा रहे यह भी जरूरी है। शिक्षण संस्थानों में पुस्तकालय की अपनी अहमियत है। इनमें करीने से रखी पुस्तकें पाठकों से बहुत कुछ बांटना चाहती हैं। पुस्तकालय तो बहुत से स्थानों पर खुले हैं, पर कई की हालत ठीक नहीं है। कई पुस्तकालयों में स्थान व रखरखाव के अभाव में किताबें खराब हो रही हैं। ज्ञान के इस अनमोल खजाने को सहेजने की जरूरत है। पिछले दिनों निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री ने बौद्ध मठों में भी पुस्तकालय खोलने पर बल दिया, साथ ही उन्होंने पर्यावरण को पॉलीथीन से होने वाले नुकसान को देखते हुए किताबों को पॉलीथीन से पैक न करने की सलाह दी है। जीवन की बड़ी-बड़ी उलझनों से बाहर निकलने का रास्ता दिखाने वाली किताबों से दोस्ती करने की जरूरत है। घर पर माता-पिता व स्कूलों में अध्यापक बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें तो बात बने। पुस्तकालय की हालत को सुधारने व पुस्तकों को सहेजने के लिए सरकार की तरफ से भी प्रयास हों। पुस्तक दिवस पर सभी को पुस्तकें पढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। वर्षो पहले किताबों में सहेज कर रखे सूखे फूलों को बयां करती कोई दास्तां, जो आप कहीं जीवन की भूल-भूलैया में भूल चुके हैं, आपको बहुत कुछ याद दिलाएगी। सच है किताबें कुछ कहना चाहती हैं, जरा ठहर कर सुनिए तो सही।