Hindi, asked by khembavia, 8 months ago

किताबें जो रिश्ता सुनाती थी ​

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Answered by ʙᴇᴀᴜᴛʏᴀɴɢᴇʟ
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Explanation:

किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से

बड़ी हसरत से तकती हैं

महीनों अब मुलाकातें नहीं होती

जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं

अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर

बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें

उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है

जो कदरें वो सुनाती थी कि जिनके

जो रिश्ते वो सुनाती थी वो सारे उधरे-उधरे हैं

कोई सफा पलटता हूँ तो इक सिसकी निकलती है

कई लफ्ज़ों के मानी गिर पड़े हैं

बिना पत्तों के सूखे टुंड लगते हैं वो अल्फ़ाज़

जिनपर अब कोई मानी नहीं उगते

जबां पर जो ज़ायका आता था जो सफ़ा पलटने का

अब ऊँगली क्लिक करने से बस झपकी गुजरती है

किताबों से जो ज़ाती राब्ता था, वो कट गया है

कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे

कभी गोदी में लेते थे

कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बनाकर

नीम सजदे में पढ़ा करते थे, छूते थे जबीं से

वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी

मगर वो जो किताबों में मिला करते थे सूखे फूल

और महके हुए रुक्के

किताबें मँगाने, गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे

उनका क्या होगा

वो शायद अब नही होंगे!!

Answered by mahipalsinghkachchwa
1

Answer:

१) किताबें झांकती हैं बंद__________

तकती हैं ।

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