किताबें झाँकती हैं बंद अलमारी के शीशों से,
बड़ी हसरत से तकती हैं।
महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं,
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं
अब अक्सर .....
आधेलर
बीतना
गुजर जाती हैं कंप्यूटर के पदों पर
बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें .......
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है
जो कदरें वो सुनाती थी
कि जिनके 'सेल' कभी मरते नहीं थे,
वो कदरें अब नजर आती नहीं घर में,
जो रिश्ते वो सुनाती थीं।
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Thank you so much for giving us a shayari
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class .........and thx for point
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