किताबें कुछ कहना चाहती हैं का भावार्थ
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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने तो समाज में व्याप्त विषमता एवं विदू्रपता का मुकाबला लिखे हुए शब्दों को ही हथियार बना कर किया था. ... सफदर हाशमी की कविता 'किताबें कुछ कहना चाहती हैं' में उन्होंने किताब की महत्ता को बखूबी चित्रित कर सिद्ध किया है कि पुस्तकों का अध्ययन ही मनुष्य को, समाज को, देश को स्थायी प्रतिष्ठा प्रदान करता है.
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