Hindi, asked by ayutipal, 5 hours ago


किताबें कविता की अंतिम 4 पंक्तियों का सरल अर्थ बताइए ​

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Answered by WandaMaximoff2010
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प्रस्तुत कविता की अंतिम चार पंक्तियों में कवि छापा मारनेवालों को सुझाव देते हुए कहता है कि आप जो करते हैं वह उचित है, परंतु जिनके घर में बैठने के लिए भी कुछ नहीं मिलता उनके घर में आपको एक तख्त की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए। यहाँ पर कवि ने छापा मारनेवालों की कार्यप्रणाली पर व्यंग्य किया है।

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Answered by manjuanupagrawal891
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Answer:

कवि कंप्यूटर के युग में किताबों के पहले जैसी उपयोगिता ना जान और हो जाने पर अपने तिरु मानसिक पीड़ा का चित्रण करते हुए कहते हैं कि आजकल किताबें अलमारियों में रखने भर की चीजें हो गई है अब ने अलमारी से निकाल की जरूरत नहीं ही नहीं पड़ी थी बंद अलमारी की ओर देखने पर ऐसा लगता है जैसे किताबें अलमारी के शीशों से कवि की ओर जा रही है वे कामना करती है कि उन्हें बाहर निकाल कर कोई पड़े कभी कहते हैं कि अब तो महीने गुजर जाते हैं उन किताबों से मिलना भी नहीं होता एक समय ऐसा था जब उनकी शाम इन किताबों को पढ़ने में लगा कर दी थी पर अब अक्षर नहीं कभी कहते हैं कि कंप्यूटर आने से पहले उनकी शान किताब पढ़ने में बीता करती थी सबसे कंप्यूटर पर ही अपनी शान बिताते हैं इसलिए उनकी शान कंप्यूटर के पर्दे पर बिकने लगी है इस योग के कारण किताबें बहुत बेचने रहने लगी है अब हालात यह हो गए हैं कि यह किताबें अब हालात यह हो गए हैं कि यह किताबें नींद में चलने लगी है अर्थात कवि के जिन मूल्यों की जानकारी मिलती थी और जो शोषण हुआ करते थे विमान में नजर नहीं आते हैं किताबों के बारे में बताते हैं कभी किताबों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि किताबों के बारे में बताती थी अब उठ गए हैं टूट गए हैं तो उनकी हालत देखकर उन्हें रोना आ जाता है और उनके गले से सिसकारी निकालने लगते हैं कोई शब्द के अर्थ वाले शब्द दिखाई दे रहे हैं जैसे वह बिना पत्तियों वाले कोई कोई ऐसा टूट हो जिस पर अब कोई अर्थ नहीं होने वाला पुस्तकों और कंप्यूटर पर पलटने के तरीकों के बारे में कहते हैं कि किताबें के पलटने में जीप को एक प्रकार का स्वाद मिलता है अब कंप्यूटर पर उंगली से करने पर रिश्ते बदल जाते हैं परदे पर मनचाहे ढंग से एक के बाद एक कोई भी प्रश्न खोला जा सकता है इसके कारण लोगों का किताब से बना हुआ निजी संपर्क टूट गया है कभी किताबों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि किताबें पढ़ते समय किताबों को कभी जाते थे कभी उसे गोद में रख लेते थे कभी अपने घुटनों को लियोन की तरह बनाकर पुस्तक उस पर रखकर पढ़ते थे उसे माथे पर चढ़ाते थे ताकि भविष्य में भी उसे ज्ञान प्राप्त होता रहे किताबों के साथ कुछ रोचक बातें झूठी होती है कंप्यूटर पर आधारित हो जाने पर उनका अस्तित्व नहीं आऊंगा किताबों में कभी कभी किसी के लिए फूल या संदेश पत्र दिया जाता था जिन्हें लोग सुख जाते थे उनके संबंधों को ताजा करते थे किताबों से गिरने से बहाने कुछ लोगों के जिंदगी भर्ती संबंधी कहते हैं कि जब का उपयोग नहीं होगा ऐसा संबंध कैसे बनेगा कविता है किताबें झांकती के शीशों से बड़ी हंसी है मुलाकात नहीं होती जो शाम की शक्ति रखता है किताबें नींद में चलने की आदत हो गई है वह सुनती है नजर आता नहीं घर में उड़ने लगते हैं वह अल्फाज ही नहीं आता था वह भी साफ करने जाता है कभी-कभी सोने जाते हैं कभी गोदी में लेते हैं कभी घुटनों को अपनी रियल की सूरत बना कर दे पड़ा करते हैं छोटे थे जब इसे वह साला अगर वह जो किताबों से मिला करते थे सूखे फूल और मैं किताब गिरने के रिश्ते बनते हैं उनका क्या वह शायद नहीं होगा इस कविता को लिखा गया है गुलजार कविता कविता कविता कविता बड़ी बेचैन है किताबे जब नींद में चलने की आदत हो चुकी है पंक्तियां कविता करकेइस कविता में कागज वाली किताबों और कंप्यूटर के पदों पर पढ़ी जाने वाली किताबों में अंतर की बात की गई है कंप्यूटर पर किताबें पढ़ना और मंदिर और सुखदा ही हो जाने के बावजूद कागज की किताब में की खुशियां कवि के मन में नहीं गई है कागज की किताबों के माध्यम से मिलने वाले सूखे फूल और रुके तथा किताबों के गिरने और उठाने के बहाने बनाने वाले रिश्ते कंप्यूटर के माध्यम से संभव होने वाले नहीं हैं इसमें हमें यह संदेश मिलता है कि हमें नवनीत का स्वागत अवश्य करना चाहिए पर अपनी पुरातन परंपरा की खूबियों को भी भूलना नहीं चाहिए

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