किताबें कविता का भावार्थ
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प्रस्तुत कविता 'किताबें' में कवि 'गुलजार' ने वर्तमान में किताबों की हो रही दयनीय दशा का चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि आज पुस्तकें मात्र बंद अलमारियों की शोभा बनकर रह गई हैं। किताबें बड़ी उम्मीद से हमारी ओर देखती है कि कोई तो आएगा और उसे पढ़ेगा।
कविता की प्रथम पाँच पंक्तियों का भावार्थ -
प्रस्तुत कविता 'किताबें' में कवि 'गुलजार' ने वर्तमान में किताबों की हो रही दयनीय दशा का चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि आज पुस्तकें मात्र बंद अलमारियों की शोभा बनकर रह गई हैं। किताबें बड़ी उम्मीद से हमारी ओर देखती है कि कोई तो आएगा और उसे पढ़ेगा। पहले के समय में जब तकनीक का विकास नहीं हुआ था तब किताबें ही सबके ज्ञान, विज्ञान और मनोरंजन का साधन हुआ करती थी। परन्तु आज वर्तमान परिस्थिति में मोबाइल और कंप्यूटर आ जाने से सभी उसमें व्यस्त हो गए हैं। किताबों की ओर देखने की अब किसे फुरसत ही नहीं है।
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किताबें कविता का भावार्थ
Explanation:
प्रस्तुत कविता 'किताबें' में कवि 'गुलजार' ने वर्तमान में किताबों की हो रही दयनीय दशा का चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि आज पुस्तकें मात्र बंद अलमारियों की शोभा बनकर रह गई हैं। किताबें बड़ी उम्मीद से हमारी ओर देखती है कि कोई तो आएगा और उसे पढ़ेगा।
कविता, साहित्य जो अनुभव की एक केंद्रित कल्पनाशील जागरूकता या उसके अर्थ, ध्वनि और लय के लिए चुनी गई और व्यवस्थित भाषा के माध्यम से एक विशिष्ट भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है ।
प्रस्तुत कविता 'किताबें' में कवि 'गुलजार' ने वर्तमान में किताबों की हो रही दयनीय दशा का चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि आज पुस्तकें मात्र बंद अलमारियों की शोभा बनकर रह गई हैं। किताबें बड़ी उम्मीद से हमारी ओर देखती है कि कोई तो आएगा और उसे पढ़ेगा।
कविता की प्रथम पाँच पंक्तियों का भावार्थ -
प्रस्तुत कविता 'किताबें' में कवि 'गुलजार' ने वर्तमान में किताबों की हो रही दयनीय दशा का चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि आज पुस्तकें मात्र बंद अलमारियों की शोभा बनकर रह गई हैं। किताबें बड़ी उम्मीद से हमारी ओर देखती है कि कोई तो आएगा और उसे पढ़ेगा। पहले के समय में जब तकनीक का विकास नहीं हुआ था तब किताबें ही सबके ज्ञान, विज्ञान और मनोरंजन का साधन हुआ करती थी। परन्तु आज वर्तमान परिस्थिति में मोबाइल और कंप्यूटर आ जाने से सभी उसमें व्यस्त हो गए हैं। किताबों की ओर देखने की अब किसे फुरसत ही नहीं है।
कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है।
किताबें कविता का भावार्थ
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Kitabe Kavita ka bhavarth
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