Hindi, asked by sharayudhuri10, 12 days ago

कृति ३ : (भावार्थ)
• निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
चख-चख जीवन मधुरस प्रतिक्षण, विपुल मनोवैभव कर संचित,
जन मधुकर अनुभूति द्रवित जब, करते भव मधु छत्र विनिर्मित,
नहीं प्रार्थना इससे शुचितर!
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Answered by shraddha663
2

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ यह है कि इंसान को परिस्थिति के आगे हार नहीं माननी चाहिए। मीनू ने भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी और अपना ध्यान लक्ष्य को पूरा करने में केंद्रित कर दिया।

Answered by rekhabochare86
3

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियाँ नहीं कुछ इससे बढ़कर’ कविता से ली गई हैं। इसके कवि सुमित्रानंदन पंत हैं। प्रस्तुत पंक्ति में मधुकर यानी भ्रमरों का वर्णन है। भ्रमर मधुरस को प्रतिक्षण चखकर विपुल मात्रा में मधु-रूपी मनोवैभव का संचय करते हैं और अपना मधु छत्र बना लेते हैं। उसी प्रकार कलाकार, कवि, बलिदानी पुरुष, कृषक एवं माँ व्यक्ति, समाज व देश के हित में सदैव तत्पर रहते हैं। इनका हृदय दूसरों के लिए द्रवित हो उठता है। इनके कारण ही यह लोक महान बन गया है। अत: इनकी प्रार्थना से अन्य कोई पवित्र व शुभ प्रार्थना नहीं हो सकती।

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