कांता को ऐसा क्यों लगा कि मताधिकार मैं किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है
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➲ कांता को मताधिकार में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होने की बात ऐसे पता लगी, क्योंकि जब कांता मतदान करने पहुंची तो जिस लाइन में खड़ी थी, उसमें उसने देखा कि उस लाइन में उसके मालिक अशोक जैन भी खड़े थे तथा उसका पड़ोसी छोटेलाल भी उसी लाइन में खड़ा था। उस लाइन में कई अलग-अलग वर्गों के लोग खड़े थे। इस तरह कांता को पता चला कि भारत में मताधिकार में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता और सभी को चाहे वह अमीर हो, गरीब हो या समाज के किसी भी वर्ग से हो, उसे समान मताधिकार करने का अधिकार प्राप्त है। कितना भी विशिष्ट व्यक्ति क्यों ना हो सबको एक ही लाइन में लगकर वोट करना पड़ता है।
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